हमास और इस्राइल के बीच जंग जारी है। युद्ध में अब तक दोनों पक्षों के हजारों लोगों की मौत हो गई है। जहां इस्राइल ने हमास को पूरी तरह खत्म करने का संकल्प लिया है। वहीं, अब आतंकी समूह भी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। फिलहाल, न तो जंग की रफ्तार कम हो रही है और न ही लोगों की जान की परवाह की जा रही है। इस बीच, अमेरिका और इस्राइल के बीच फलस्तीन को अलग एक देश का दर्जा दिए जाने पर बहस छिड़ गई है। एक तरफ अमेरिका का कहना है कि दो-राष्ट्र समाधान क्षेत्र में स्थायी शांति लाने का एकमात्र संभव तरीका है। वहीं, दूसरी तरफ इस्राइल ने इससे इनकार कर दिया है।
क्या है दो-राष्ट्र समाधान?
दो-राष्ट्र समाधान उन क्षेत्रों में दो देशों– इस्राइल और फलस्तीन– के वजूद की बात करता है जो कभी ब्रिटिश शासन के अधीन फलस्तीन क्षेत्र था। फलस्तीन के शासन क्षेत्र को दो राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव पहली बार 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने दिया था, जब इसने यूएनजीए प्रस्ताव 181 (II) पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावित बंटवारे में, कहा गया था कि ब्रिटिश शासन वाले क्षेत्र को भविष्य में यहूदी राज्य के तौर पर लगभग 55 प्रतिशत भूमि दी जाएगी, जबकि बाकी 45 प्रतिशत अरब राज्य (फलस्तीन) को देने की बात कही गई थी। हालांकि, 1948 में इस्राइल की स्थापना के 75 साल बाद भी इस मुद्दे पर संघर्ष जारी है।
इस्राइल के पास एक मौका
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने गुरुवार को कहा कि फलस्तीन देश की स्थापना के बिना गाजा में शांति लाना और इस्राइल की दीर्घकालिक सुरक्षा चुनौतियों को हल करने का कोई तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्राइल के पास फिलहाल एक मौका है, क्योंकि क्षेत्र के देश उसे सुरक्षा आश्वासन देने के लिए तैयार हैं। मिलर ने कहा कि स्थायी सुरक्षा प्रदान करने का कोई तरीका नहीं है। गाजा के पुनर्निर्माण, गाजा में शासन स्थापित करने और फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के बिना गाजा के लिए सुरक्षा प्रदान करने की अल्पकालिक चुनौतियों को हल करने का कोई तरीका नहीं है।
इस्राइली पीएम ये बोले
दरअसल, अमेरिका का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि उन्होंने वाशिंगटन को बताया था कि उन्होंने किसी भी फलस्तीनी राष्ट्र का विरोध किया है जो इस्राइल की सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है।नेतन्याहू ने कहा था, ‘मैं स्पष्ट करता हूं कि भविष्य में किसी भी व्यवस्था में, एक समझौते के साथ या बिना किसी समझौते के, हमारा जॉर्डन नदी के पश्चिम में पूरे क्षेत्र पर सुरक्षा नियंत्रण होना चाहिए। यह एक जरूरी शर्त है। यह संप्रभुता के सिद्धांत से टकराता है, लेकिन आप क्या कर सकते हैं।’
दोनों का ये मत
इस्राइल और उसके सबसे बड़े समर्थक संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंध कुछ डगमगाते दिख रहे हैं। नेतन्याहू और उनकी दक्षिणपंथी गठबंधन सरकार ने फलस्तीन के लोगों को एक अलग राष्ट्र का दर्जा दिए जाने से मना कर दिया है। भले ही वाशिंगटन का कहना है कि दो-राष्ट्र समाधान इस क्षेत्र में स्थायी शांति लाने का एकमात्र संभव तरीका है।
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