वह भला शख्स था ये कहने में बहुत देर हुई….
स्वर्गीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह कल पंच तत्व में विलीन हो गए उन्होंने अपने आखिरी इंटरव्यू में जब वो प्रधानमंत्री से पद से इस्तीफा दिए तो यह कहा था कि आने वाला इतिहास शायद मेरे प्रति दयालु होगा…
सार्वजनिक जीवन में संसद में तमाम रैलियों में आपके कहे हुए शब्द बहुत ज्यादा मिटते नहीं है वह समय समय पर उभर के आते हैं वर्तमान प्रधानमंत्री जी ने मनमोहन सिंह को व्यंग्यात्मक लहजे में ही कहा था की डॉक्टर साहब तो कोट पहन के नहा सकते है मनमोहन सिंह ना हो के मौन मोहन सिंह हैं जवाब में मनमोहन सिंह ने क्या कहा पता नहीं क्योंकि वह कुछ कहते ही नहीं थे अगर हर प्रश्न का उत्तर दे दिया जाए तो प्रश्न की भी गरिमा खत्म हो जाती है डॉक्टर साहब ने बहुत से प्रश्नों की गरिमा भी रखी प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के सुरक्षा में रहे आईपीएस अधिकारी श्री अरुण असीम साहब आज यह बात कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री डा मनमोहनसिंह उनसे कहा करते थे कि उनके काफिले में भले बीएमडब्ल्यू कार है पर उनको मारुति 800 ही पसंद है अरुण असीम साहब आज भाजपा में है और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी है ये उन्होंने कहा जरूर लेकिन अब कहा जब डॉक्टर मनमोहन सिंह जी नहीं रहे डा मनमोहन सिंह जी की सरकार के खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन करने वाले दो लोग अन्ना हजारे और योगेंद्र यादव उन दोनों ने भी अपने-अपने वक्तव्य में उनको महान अर्थशास्त्री और कुशल नेता बताया लेकिन तब बताया जब उसको सुनने के लिए डा मनमोहन सिंह जी जीवित नहीं है मृत्योपरांत हमारे यहां की रटी रटाई परंपरा का संवहन कमोबेश सभी कर रहे हैं बहुत अच्छे थे बड़े अच्छे अर्थशास्त्री थे बड़े ईमानदार थे लेकिन आप लोगों ने ही तब उनपर तमाम लांछन भी तो लगाए थे अगर समय रहते डॉक्टर मनमोहन सिंह अपने बारे में कुछ अच्छा सुन पाते खास कर अपने विरोधियों से तो शायद उनकी पीड़ा कुछ कम होती इस संदर्भ में निर्विवाद रूप से हमें देश के बड़े लोकतंत्रों से यह परंपरा सीखनी पड़ेगी अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जिन्होंने डा मनमोहन सिंह को उनके जीवित रहने पर ही कहा था कि बेशक वह कम बोलते हैं लेकिन जब बोलते हैं तो उन्हें पूरी दुनिया सुनती है दो बार के प्रधानमंत्री एक मिली जुली सरकार के दबाव में कार्य करते हुए ऐसे ऐसे फैसले लिए जो कांग्रेस की विचारधारा से नहीं मिलते थे जो नेहरू की विचारधारा से भी नहीं मिलते थे सहयोगी दलों के विचार धारा से भी नहीं मिलते थे लेकिन जो उस समय वैश्विक वक्त की जरूरत थी वो सब डा साहब ने किया किसी इमारत की बुनियाद महत्वपूर्ण होती है आज वैश्विक रूप से जो भारत के आर्थिक विकास की गति है जो आपकी जीडीपी की ग्रोथ है इसकी आधारशिला डॉक्टर साहब ही रख कर गए थे
भारत के अब तक के प्रधानमंत्रियों में शालीनता और ईमानदारी कि अगर मिसाल दी जाएगी तो स्व लाल बहादुर शास्त्री जी के बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह का ही नाम आयेगा आज छोटा मोटा विधायक भी चाहे वो जिस दल का हो अपने परिवार को राजनीति मे येन केन खींच के ले ही आता है क्योंकि राजनीति एक सुरक्षित व्यवसाय है पर दो बार के प्रधानमंत्री का कोई राजनैतिक वारिस नही है यंही डा मनमोहन सिंह की शख्सियत औरों से जुदा थी नमन सादर श्रद्धांजलि डा मनमोहनसिंह सिंह साहब…
स्वर्गीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह कल पंच तत्व में विलीन हो गए उन्होंने अपने आखिरी इंटरव्यू में जब वो प्रधानमंत्री से पद से इस्तीफा दिए तो यह कहा था कि आने वाला इतिहास शायद मेरे प्रति दयालु होगा…
सार्वजनिक जीवन में संसद में तमाम रैलियों में आपके कहे हुए शब्द बहुत ज्यादा मिटते नहीं है वह समय समय पर उभर के आते हैं वर्तमान प्रधानमंत्री जी ने मनमोहन सिंह को व्यंग्यात्मक लहजे में ही कहा था की डॉक्टर साहब तो कोट पहन के नहा सकते है मनमोहन सिंह ना हो के मौन मोहन सिंह हैं जवाब में मनमोहन सिंह ने क्या कहा पता नहीं क्योंकि वह कुछ कहते ही नहीं थे अगर हर प्रश्न का उत्तर दे दिया जाए तो प्रश्न की भी गरिमा खत्म हो जाती है डॉक्टर साहब ने बहुत से प्रश्नों की गरिमा भी रखी प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के सुरक्षा में रहे आईपीएस अधिकारी अरुण असीम साहब आज यह बात कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री डा मनमोहनसिंह उनसे कहा करते थे कि उनके काफिले में भले बीएमडब्ल्यू कार है पर उनको मारुति 800 ही पसंद है अरुण असीम साहब आज भाजपा में है और उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी है ये उन्होंने कहा जरूर लेकिन अब कहा जब डॉक्टर मनमोहन सिंह जी नहीं रहे डा मनमोहन सिंह जी की सरकार के खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन करने वाले दो लोग अन्ना हजारे और योगेंद्र यादव उन दोनों ने भी अपने-अपने वक्तव्य में उनको महान अर्थशास्त्री और कुशल नेता बताया लेकिन तब बताया जब उसको सुनने के लिए डा मनमोहन सिंह जी जीवित नहीं है मृत्योपरांत हमारे यहां की रटी रटाई परंपरा का संवहन कमोबेश सभी कर रहे हैं बहुत अच्छे थे बड़े अच्छे अर्थशास्त्री थे बड़े ईमानदार थे लेकिन आप लोगों ने ही तब उनपर तमाम लांछन भी तो लगाए थे अगर समय रहते डॉक्टर मनमोहन सिंह अपने बारे में कुछ अच्छा सुन पाते खास कर अपने विरोधियों से तो शायद उनकी पीड़ा कुछ कम होती इस संदर्भ में निर्विवाद रूप से हमें देश के बड़े लोकतंत्रों से यह परंपरा सीखनी पड़ेगी अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जिन्होंने डा मनमोहन सिंह को उनके जीवित रहने पर ही कहा था कि बेशक वह कम बोलते हैं लेकिन जब बोलते हैं तो उन्हें पूरी दुनिया सुनती है दो बार के प्रधानमंत्री एक मिली जुली सरकार के दबाव में कार्य करते हुए ऐसे ऐसे फैसले लिए जो कांग्रेस की विचारधारा से नहीं मिलते थे जो नेहरू की विचारधारा से भी नहीं मिलते थे सहयोगी दलों के विचार धारा से भी नहीं मिलते थे लेकिन जो उस समय वैश्विक वक्त की जरूरत थी वो सब डा साहब ने किया किसी इमारत की बुनियाद महत्वपूर्ण होती है आज वैश्विक रूप से जो भारत के आर्थिक विकास की गति है जो आपकी जीडीपी की ग्रोथ है इसकी आधारशिला डॉक्टर साहब ही रख कर गए थे
भारत के अब तक के प्रधानमंत्रियों में शालीनता और ईमानदारी कि अगर मिसाल दी जाएगी तो स्व लाल बहादुर शास्त्री जी के बाद डॉक्टर मनमोहन सिंह का ही नाम आयेगा आज छोटा मोटा विधायक भी चाहे वो जिस दल का हो अपने परिवार को राजनीति मे येन केन खींच के ले ही आता है क्योंकि राजनीति एक सुरक्षित व्यवसाय है पर दो बार के प्रधानमंत्री का कोई राजनैतिक वारिस नही है यंही डा मनमोहन सिंह की शख्सियत औरों से जुदा थी नमन सादर श्रद्धांजलि डा मनमोहनसिंह सिंह साहब…
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