डिओडोरेंट से सांसों और आंखों में बसने वाली गर्लफ्रेंड मिले न मिले लेकिन आपकी सांसों पर संकट जरूर आ सकता है। ये खुलासा हुआ है स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी लोसेन (ईपीएफएल) की स्टडी। डिओडोरेंट और लोशन जैसे उत्पादों के प्रयोग से घर के अंदर की एयर क्वालिटी तेजी से खराब हो रही है।
स्टडी के मुताबिक, डिओडोरेंट और स्प्रे के इस्तेमाल से हवा में 200 से अधिक प्रकार के वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) फैल जाते हैं। ये ऐसे तत्व होते हैं, जो भाप में बदलने की क्षमता रखते हैं। जब ये यौगिक घर की गर्म या ठंडी हवा के संपर्क में आते हैं, तो खतरनाक रसायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं। इसके कारण और भी जहरीले तत्व बनते हैं, जो फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इन कणों का ज्यादा मात्रा में अंदर लेना कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
मुख्य शोधकर्ता दुसान लिसिना ने बताया कि यूरोप में बिकने वाले प्रमुख ब्रांडों के डिओडोरेंट, परफ्यूम, लोशन और ड्राई शैम्पू स्प्रे का परीक्षण किया गया। एक इंडोर लैब में इन उत्पादों का असर घर के वातावरण पर देखा गया। मशीनों से पता चला कि इनके इस्तेमाल के दौरान हवा में कई जहरीले तत्व घुलते हैं, जो फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।
अध्ययन में पाया गया कि बड़ी संख्या में लोग इन उत्पादों के रसायनों से अनजान हैं। कंपनियों द्वारा इनका आकर्षक विज्ञापन कर लोगों को खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है। जबकि हकीकत यह है कि ये उत्पाद न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा हैं।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इन उत्पादों का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए और घर की हवा को साफ रखने के लिए वेंटिलेशन पर ध्यान देना जरूरी है।